Chandrakanta Santati-3

चन्द्रकान्ता सन्तति-3

Mystery & Suspense, Historical Mystery
Cover of the book Chandrakanta Santati-3 by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री, Bhartiya Sahitya Inc.
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री ISBN: 9781613010280
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc. Publication: April 25, 2012
Imprint: Language: Hindi
Author: Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
ISBN: 9781613010280
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.
Publication: April 25, 2012
Imprint:
Language: Hindi
अब वह मौका आ गया है कि हम अपने पाठकों को तिलिस्म के अन्दर ले चलें और वहाँ की सैर करावें, क्योंकि कुँअर इन्द्रजीत सिंह और आनन्दसिंह मायारानी के तिलिस्मी बाग के चौथे दर्जे में जा विराजे हैं, जिसे एक तरह पर तिलिस्म का दरवाजा कहना चाहिए। ऊपर के भाग में यह लिखा जा चुका है कि भैरोसिंह को रोहतासगढ़ की तरफ़ और राजा गोपालसिंह और देविसिंह को काशी की तरफ़ रवाना करने के बाद इन्द्रजीतसिंह, आनन्दसिंह, तेजसिंह, तारासिंह, शेरसिंह और लाडिली को साथ लिए हुए कमलिनी तिलिस्मी बाग के चौथे दर्जे में जा पहुँची और उसने राजा गोपालसिंह के कहे अनुसार देवमन्दिर में, जिसका हाल आगे चलकर खुलेगा, डेरा डाला। हमने कमलिनी और कुँअर इन्द्रजीतसिंह वगैरह को दरोगावाले मकान के पास के एक टीले पर ही पहुँचाकर छोड़ दिया था, और यह नहीं लिखा कि वे लोग तिलिस्मी बाग के चौथे दर्जे में किस राह से पहुँचे या वह रास्ता किस प्रकार का था। खैर, हमारे पाठक महाशय ऐयारों के साथ कई दफे उस तिलिस्मी बाग में जाँयगे, इसलिए वहाँ के रास्ते का हाल उनसे छिपा न रह जायगा।<
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
अब वह मौका आ गया है कि हम अपने पाठकों को तिलिस्म के अन्दर ले चलें और वहाँ की सैर करावें, क्योंकि कुँअर इन्द्रजीत सिंह और आनन्दसिंह मायारानी के तिलिस्मी बाग के चौथे दर्जे में जा विराजे हैं, जिसे एक तरह पर तिलिस्म का दरवाजा कहना चाहिए। ऊपर के भाग में यह लिखा जा चुका है कि भैरोसिंह को रोहतासगढ़ की तरफ़ और राजा गोपालसिंह और देविसिंह को काशी की तरफ़ रवाना करने के बाद इन्द्रजीतसिंह, आनन्दसिंह, तेजसिंह, तारासिंह, शेरसिंह और लाडिली को साथ लिए हुए कमलिनी तिलिस्मी बाग के चौथे दर्जे में जा पहुँची और उसने राजा गोपालसिंह के कहे अनुसार देवमन्दिर में, जिसका हाल आगे चलकर खुलेगा, डेरा डाला। हमने कमलिनी और कुँअर इन्द्रजीतसिंह वगैरह को दरोगावाले मकान के पास के एक टीले पर ही पहुँचाकर छोड़ दिया था, और यह नहीं लिखा कि वे लोग तिलिस्मी बाग के चौथे दर्जे में किस राह से पहुँचे या वह रास्ता किस प्रकार का था। खैर, हमारे पाठक महाशय ऐयारों के साथ कई दफे उस तिलिस्मी बाग में जाँयगे, इसलिए वहाँ के रास्ते का हाल उनसे छिपा न रह जायगा।<

More books from Bhartiya Sahitya Inc.

Cover of the book Gulp Samuchchaya (Hindi Stories) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-06 by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Sri Ramchandra Ki Vani (Hindi Self-help) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Haathi Ke Daant (Hindi Novel) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Prem Prasun (Hindi Stories) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Gaban (Hindi Novel) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Sachcha Guru Kaun? (Hindi Self-help) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Meri Kahaniyan-Bhishm Sahani (Hindi Stories) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Khajane Ka Rahasya (Hindi Novel) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Bhaj Govindam (Hindi Prayer) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Vardaan (Hindi Novel) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-09 by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Meri Kahaniyan-Aabid Surti (Hindi Stories) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Soj-e-vatan (Hindi Stories) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Manorama (Hindi Novel) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy